Saturday, 10 May 2014

Happy Mothers Day
यह कदम्ब का पेड़ अगर माँ होता जमना तीरे 
मैं भी उस पर बैठ कन्हैय्या बनता धीरे धीरे 
ले देती यदि मुझे तुम बांसुरी दो पैसे वाली 
किसी तरह नीची हो जाती यह कदम्ब की डाली
तुम्हे नहीं कुछ कहता पर मैं चुपके चुपके आता
उस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर चढ़ जाता
वहीँ बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाता
अम्मा अम्मा कह बंसी के स्वरों में तुम्हे बुलाता
...............................................................सुभद्रा कुमारी चौहान

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1 Comments:

At 16 May 2014 at 21:56 , Blogger Unknown said...

Bhai kuch khud ki line bhi dalo..

 

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