Happy Mothers Day
यह कदम्ब का पेड़ अगर माँ होता जमना तीरे
मैं भी उस पर बैठ कन्हैय्या बनता धीरे धीरे
ले देती यदि मुझे तुम बांसुरी दो पैसे वाली
किसी तरह नीची हो जाती यह कदम्ब की डाली
तुम्हे नहीं कुछ कहता पर मैं चुपके चुपके आता
उस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर चढ़ जाता
वहीँ बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाता
अम्मा अम्मा कह बंसी के स्वरों में तुम्हे बुलाता
...............................................................सुभद्रा कुमारी चौहान
यह कदम्ब का पेड़ अगर माँ होता जमना तीरे
मैं भी उस पर बैठ कन्हैय्या बनता धीरे धीरे
ले देती यदि मुझे तुम बांसुरी दो पैसे वाली
किसी तरह नीची हो जाती यह कदम्ब की डाली
तुम्हे नहीं कुछ कहता पर मैं चुपके चुपके आता
उस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर चढ़ जाता
वहीँ बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाता
अम्मा अम्मा कह बंसी के स्वरों में तुम्हे बुलाता
...............................................................सुभद्रा कुमारी चौहान
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